kuch naya ,kuch purana, kuch apni khushi aur gum aur kuch dusron ki khusi aur gum ko eksaath ek kalam sey laney ka prayas matr jo kabhi hua aur kabhi atrapt raha
बुधवार, 30 सितंबर 2015
रविवार, 27 सितंबर 2015
आज मै प्यार बनाने वाली हूँ|
ज़िन्दगी की कड़ाही में,
समय का तेल डालकर,
नोक -झोंक का तड़का डालने वाली हूँ,
आज में प्यार बनाने वाली हूँ।
संवेदना को छोटे- छोटे भागो में बाँट,
रिश्तों को उसमे डूबा दूंगी.,
नरम हाथो से थपथपाकर,
थोड़ा आँखों की नमी में भिगाकर,
हंसी और कहकहों के मसाले डालने वाली हूँ,
आज मैं प्यार बनाने वाली हूँ।
शांति की चाशनी में,
स्नेह की डिबिया खोल,
गरिमा की सुगंधि से पूर्ण,
आदर के वर्क़ से इसे सजाने वाली हूँ,
आज में प्यार बनाने वाली हूँ।
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
एक दिन
एक खाका खींच कर दे दो
ताकि मैं जान सकूँ
पैमाने जो तय किये गए हैं
मेरे लिए ।
और कोशिश में लग जाऊँ.....
उन पैमानों की माप के
अनुरूप खरी उतरने में ।
अपनी देह को बना दूँ
ऐसी एक मशीन
जिसका बटन तुम्हारी हर उंगली में हो
और तुम्हारी ऊँगली के हिलते ही
मैं रोबोट की तरह
बदल दूँ अपनी देह को
तुम्हारी कल्पना की देह में.......
एक खाका खींच कर दे दो
ताकि मैं जान सकूँ
पैमाने जो तय किये गए हैं
मेरे लिए ।
और कोशिश में लग जाऊँ.....
उन पैमानों की माप के
अनुरूप खरी उतरने में ।
अपनी देह को बना दूँ
ऐसी एक मशीन
जिसका बटन तुम्हारी हर उंगली में हो
और तुम्हारी ऊँगली के हिलते ही
मैं रोबोट की तरह
बदल दूँ अपनी देह को
तुम्हारी कल्पना की देह में.......
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