मानव,मानवों की व्यथा
पहचान ले जरा सा
वर्ना अपने, रक्त भी भुला देंगे
आपसी रिश्ते औ पहचान
वह साझेदारी
जिसे पूर्वजों से पाया था
हमने विरासत में
आने वाली पीढ़ी को क्या बतायेंगे
जो अपने ही रक्त को
खुद से प्रथक समझेगी
क्या हम उनेहे देंगे
विरासत में
यही खुदगर्ज़ी ,बदला, खून..............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें