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शनिवार, 27 मार्च 2021

 ......कि अचानक मेरी नज़र इस किताब पर पड़ी । बहुत सी किताबें खरीदी तो जातीं हैं पर कहीं किसी विशेष वक्त के लिए बची रह जाती है।


जब कोरोना काल अपने चरम पर था उस समय इस किताब की वापसी पढ़ी जाने वाली किताबों में हुई फिर आजकल बुद्ध की चर्चा हुई तो एक बार फिर  किताब की याद आई।


थेरियो के बहाने कितनी कहानियां कविता के रूप में गढ़ी गई हैं।एक बार ,दो बार ,कई बार पढ़ी जा सकने वाली अद्भुत कविताओं का संग्रह है अनामिका जी की 'टोकरी में दिगंत '।


लोक और स्त्री मन की गहराइयों को छूते रूपक अंतर्मन को छू लेते हैं। किताब की भूमिका ही इतनी सशक्त है कि आगे बढ़े बिना रूका नहीं जाता।


कुछ अच्छी किताबें पढ़ने पर जो सुकून मिलता है उनमें से एक यह किताब भी है।

 रात नौ बजे से सुबह तीन बजे तक जो कहानी बांध कर रखे और समाप्ति के बाद भी उसके मोहपाश से निकलना मुश्किल हो तो लेखक को बधाई देनी बनती है। 


महिला पात्रों पर लिखा जाना कुछ नया नहीं है पर कथ्य की ताजगी , घटनाओं की बुनावट ,फ्लो आपको बांधे रखे ,यह महत्वपूर्ण है।कई घटनाओं से बुनी कहानी में एक घटना का रहस्य खत्म होता है तो दूसरी घटना का रहस्य शुरू हो जाता है और लगातार 'नीना ऑटी 'का चरित्र कभी सघन कभी तरल हो दिलों दिमाग पर तारी रहता है। अनुकृति उपाध्याय Anukrti Upadhyay  के लेखन का अपना एक स्टाइल है,नयापन है ,वैविध्य है इसलिए उन्हें पढ़ना खूबसूरत अनुभूति  है।

यूं तो सामान्य पर स्वतंत्र विचाराधारा वाला चरित्र है 'नीना ऑटी 'पर उनकी अपनी जिंदगी के फलसफे उन्हें एक अद्भुत चरित्र के रूप स्थापित करते हैं।


सोबर आवरण में लिपटा यह लघु उपन्यास निश्चित ही 'नीना ऑटी 'के सोबर पर रहस्यमय व्यक्तित्व को अपने में खूबसूरती से समाहित किए हैं।आम भारतीय परिवारों की तीन पीढ़ियों के चुटीले संवाद हर उम्र के पाठक को बांधे रखेंगे।


लेखिका को बधाई।🙏

 रश्मि रविजा Rashmi Ravija को मैं ब्लौग के दिनों से जानती हूं।फिर मुंबई आकर व्यक्तिगत परिचय हुआ। फेसबुक में उनका लिखा हमेशा पढ़ती हूं । 


अपने परिचितों के बारे में कहना - लिखना ज्यादा मुश्किल होता है ।रोज / हमेशा उन्हें पढ़ने की आदत हो जाती है तो सहज ही विचार एकाकार हो जाते हैं।इसलिए ख्याल ही नहीं आया कि उनकी कभी की पढ़ ली किताब के बारे में तुरत फुरत कुछ लिखा जाए।


कल एक सहकर्मी ने 'बंद दरवाजों का शहर ' वापिस करते हुए कहा ," इनकी कहानियां बहुत अच्छी हैं ,इनकी लिखी दूसरी किताब हो तो दीजिए न।" उन्हें 'कांच के शामियाने' देने के लिए तो बैग में रख ही ली और ….


 सामयिक विषयों से सहजता से लिखती रश्मि रविजा की लेखन जगत में खूब पहचान है। फेसबुक में अलग अलग मुद्दों पर लिखी पोस्ट खूब गुदगुदाती हैं।उनके लेखों को पढ़कर कई बार तो लगता है अरे यही तो हम भी सोच रहे थे ।


 'कांच के शामियाने 'की अपार सफलता के बाद ' बंद दरवाजों का शहर'कहानी संग्रह आया जिसमें कुल बारह कहानियां हैं।सबसे अच्छी बात यह है कि उनकी कहानियों के किरदार हमें आसपास ही मिल जाते हैं इसलिए कहानी से कनैक्ट होने में समय नहीं लगता ।वे हर उम्र के चरित्रों से भली -भांति परिचित हैं और बड़ी खूबसूरती से उन्हें कहानियों में स्थापित करतीं हैं। स्त्री मन हो या बाल मनोविज्ञान , युवामन सभी को गहराई से चित्रित करतीं हैं अपनी कहानियों में।हम लोगों को साधारण सी लगने वाली बातों को उनकी लेखनी असाधारण बना देती है।सभी बारह कहानियां अलग रंग लिए अलग पारिवारिक - सामाजिक परिवेश को प्रस्तुत करतीं हुई पाठक को बांधे रखती हैं। 


आजकल रश्मि पक्षियों की दुनिया पर शिद्दत से लिख  रहीं हैं। उम्मीद है कि शीघ्र ही पक्षी जगत पर पुस्तक हमारे हाथ में होगी।

 मुंबई में अमूमन‌ 'ब्रेड वाला ' घर-घर आकर ही अंडा,ब्रेड,पाव,फरसाण (नमकीन)की सप्लाई करता है ।इनके काम करने का तरीका बहुत अद्भुत है।अक्सर एक गाॅव के लोग एक एरिया ले लेते हैं , जब दल का एक सदस्य गांव जाता है तो उसी का दूसरा बंधु उस क्षेत्र को संभाल लेता है।इस तरह बारी बारी से ये गाॅव और मुंबई आते जाते रहते हैं।पिछले इक्कीस सालों से यही परिवार हमारे यहां आता है सो पुरानी के साथ नई पीढ़ी से भी परिचय है।


हमारे ब्रेड वाले भय्या अमरोहा के रहने वाले हैं।बात -बात पर  कमाल अमरोही का जिक्र करते हैं। बहुत मीठा गाते है। मोहम्मद रफी के गीतों के तो दीवाने है ।रोज एक दो लाइन सुनाकर ही जाते है।यदाकदा घर के दुख-सुख की बातें भी करते हैं। एकाध बार घर में बैठकर मेहमानों के साथ भी सुर लगाए।एक दिन पहले यदि बता दो कि "भैय्या कल महफ़िल जमाते हैं "तो जल्दी सामान बेचकर हाजिर हो जाते ।उस दिन बेशक उसका पहनावा रोज से अलग होता है।हाथ में गाने की छोटी सी डायरी भी मौजूद होती है। जिसमें ढेर सारे पुराने भूले बिसरे गीतों का खज़ाना होता है ।


वह न सिर्फ गीत अच्छे गाते है बल्कि दिल के भी बहुत नेक है।एक दिन मुझे बताते हैं कि वह जैसे ही हमारी सोसायटी के गेट में पहुंचते हैं तो सबसे पहले दुआ करते हैं ' अल्लाह सब लोगों को सेहतमंद रखे।' दिन रात मेहनत कर दूसरों के लिए दुआ करने वाला इंसान कितने बड़े दिल का हैं।कोरोना के कारण इनका धंधा भी मंदा पड़ गया ।


तो आज हमारे ब्रेडवाले भैय्या का जन्मदिन है।जब पति और वे 'हर फिक्र को धुंएएएएएए में उड़ाता चला गया' डुएट गा रहे थे तो हमने उन्हीं की बास्केट से केक निकाल कर उन्हीं को खिला दिया।


#breadwala 

#mumbai_life








 विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


उम्र के इस दौर में परफॉर्म करने का आनंद ही कुछ और है।आज भी परफार्मेंस से पहले पेट में तितलियां घूमतीं हैं ठीक वैसे ही जैसे बचपन में परीक्षा से पहले घूमतीं थीं।


मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे गुरु Ruchi Sharma  मिलीं जिन्होंने जैसी मैं हूं वैसा ही स्वीकारा ।मुझे ऐसे साथी मिले जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया।सबसे गजब बात आज मेरा श्रृंगार मेरी अपनी पास आउट स्टूडेंट्स खुशी और राधिका ने किया ।हर्ष बातों से मेरे भीतर उत्साह जगाता और विशाल मेरी उम्र को नजर अंदाज कर ऐसे स्टैप्स सिखाता कि मैं भूल ही जाती हूं कि मेरे घुटने जवाब देने लगे हैं।मेरा परिवार मेरी रीढ़ है जब थकती हूं तो मुझे सहारा देते हैं।


रंगमंच जीवन की उमंगों को बचा कर रखने वाला मंच है।प्रेम, जीजिविषा,उत्साह,जीवन का पर्याय है।


आज की कुछ तस्वीरें जो जबर्दस्ती बेटे से घर में खिंचवाई गई।


#kathak

#mumbailife