सावन
आज ये बादल घनेरे ,
जाने कैसे खेल खेलें।
न जाने क्यों इतराये।
सावन के बहाने चुपके -
चुपके धरा को गले लगायें।
कभी छिपे ये सूरज तले,
कभी सूरज को छिपाएं।
धूप में भीगी सी बूंदे ,
बूंदो से भीगी है धूप।
करे अठखेली हवा से ,
कौन सा ये गीत गाएँ।
इंद्रधनुष से सजा है ,
बीच बादलों के रचा है,
कभी बिखरे चांदनी ,
कभी चाँद को खुद में समाये|
बुझी बुझी सी शाम को ,
आगोश में ले क्यों सताएँ।
बन के लड़ियाँ ज़मी की गोद
में बिखर बिखर जाएं
आज ये बदल घनेरे
कौन सा ये खेल खेलें
न जाने क्यों इतराये।
आज ये बादल घनेरे ,
जाने कैसे खेल खेलें।
न जाने क्यों इतराये।
सावन के बहाने चुपके -
चुपके धरा को गले लगायें।
कभी छिपे ये सूरज तले,
कभी सूरज को छिपाएं।
धूप में भीगी सी बूंदे ,
बूंदो से भीगी है धूप।
करे अठखेली हवा से ,
कौन सा ये गीत गाएँ।
इंद्रधनुष से सजा है ,
बीच बादलों के रचा है,
कभी बिखरे चांदनी ,
कभी चाँद को खुद में समाये|
बुझी बुझी सी शाम को ,
आगोश में ले क्यों सताएँ।
बन के लड़ियाँ ज़मी की गोद
में बिखर बिखर जाएं
आज ये बदल घनेरे
कौन सा ये खेल खेलें
न जाने क्यों इतराये।
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