पाती 1
मेरे प्यारे बच्चो,
सभी को बधाई।
परीक्षा के दौर के बाद परिणामों का दौर शुरू हो गया है।एक एक कर बोर्ड परीक्षा तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम आ रहे हैं।ये समय तुम्हारे साथ साथ मेरे लिए भी बहुत डरावना और कठिन होता है।मेरे पेट में भी तितलियाँ घूमती हैं।फूल से कोमल दिलों पर अंकों की सजा मिलना मुझे भी विचलित कर देता है।पर परीक्षा है तो परिणामों से तो बचा नहीं जा सकेगा न।
निराश मत होना अगर तुम्हें बोर्ड परीक्षा में नब्बे प्रतिशत से कम अंक आए हैं। निराश मत होना कि तुम्हें अच्छे कालेज में दाखिला नहीं मिल पाएगा। बस जिंदगी की परीक्षा में फेल मत होना और हो भी गए तो इतना दमखम रखना कि फिर से उठकर दौड़ने लगो।
मुझे साहिल जैसे बच्चों पर सच में बहुत गुस्सा आता है। पूरे पांच साल मेडिकल की पढ़ाई को दिए, हमेशा अव्वल रहा और बस अपनी पसंद का विषय न मिल पाया तो जिंदगी से खेल गया। नहीं सोचा कि उसके माता पिता, भाई बहन, दोस्त, उसके बिना कैसे रह रहे होंगे।
याद है चुलबुला रोहन। कितना परेशान करता था हर टीचर को। पढ़ाई में अच्छा ही तो था। पर बारहवीं में अच्छे अंक नहीं आए तो जान से खेल गया। अभी तक हमारे जेहन में बसी हैं उसकी चुलबुली यादें।
मैं यह नहीं कहती पढ़ना मत। खूब पढ़ाई करना। शिक्षा तुम्हारे भविष्य में वो संबल बने जो तुम्हें सही मार्ग दर्शन करे।शिक्षा मात्र अंकों का खेल न रहे। अंक न तो तुम्हें उद्दण्ड बनाएं न ही तुम्हारे आत्मविश्वास को कम करे। चाहे कितने भी अंक आएं संवेदना और मानवीयता को बचाए रखना।
खूब जियो, खूब खेलो, खूब पढ़ो, कठिनाइयों से लड़ो और आगे बढ़ो।
तुम्हारी
रीना मैम
क्रमशः
मेरे प्यारे बच्चो,
सभी को बधाई।
परीक्षा के दौर के बाद परिणामों का दौर शुरू हो गया है।एक एक कर बोर्ड परीक्षा तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम आ रहे हैं।ये समय तुम्हारे साथ साथ मेरे लिए भी बहुत डरावना और कठिन होता है।मेरे पेट में भी तितलियाँ घूमती हैं।फूल से कोमल दिलों पर अंकों की सजा मिलना मुझे भी विचलित कर देता है।पर परीक्षा है तो परिणामों से तो बचा नहीं जा सकेगा न।
निराश मत होना अगर तुम्हें बोर्ड परीक्षा में नब्बे प्रतिशत से कम अंक आए हैं। निराश मत होना कि तुम्हें अच्छे कालेज में दाखिला नहीं मिल पाएगा। बस जिंदगी की परीक्षा में फेल मत होना और हो भी गए तो इतना दमखम रखना कि फिर से उठकर दौड़ने लगो।
मुझे साहिल जैसे बच्चों पर सच में बहुत गुस्सा आता है। पूरे पांच साल मेडिकल की पढ़ाई को दिए, हमेशा अव्वल रहा और बस अपनी पसंद का विषय न मिल पाया तो जिंदगी से खेल गया। नहीं सोचा कि उसके माता पिता, भाई बहन, दोस्त, उसके बिना कैसे रह रहे होंगे।
याद है चुलबुला रोहन। कितना परेशान करता था हर टीचर को। पढ़ाई में अच्छा ही तो था। पर बारहवीं में अच्छे अंक नहीं आए तो जान से खेल गया। अभी तक हमारे जेहन में बसी हैं उसकी चुलबुली यादें।
मैं यह नहीं कहती पढ़ना मत। खूब पढ़ाई करना। शिक्षा तुम्हारे भविष्य में वो संबल बने जो तुम्हें सही मार्ग दर्शन करे।शिक्षा मात्र अंकों का खेल न रहे। अंक न तो तुम्हें उद्दण्ड बनाएं न ही तुम्हारे आत्मविश्वास को कम करे। चाहे कितने भी अंक आएं संवेदना और मानवीयता को बचाए रखना।
खूब जियो, खूब खेलो, खूब पढ़ो, कठिनाइयों से लड़ो और आगे बढ़ो।
तुम्हारी
रीना मैम
क्रमशः
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