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सोमवार, 18 मई 2020

मुझ जैसी कई और लड़कियां (!)होंगी जो पिता से ज्यादा जुड़ी होंगीं। मैं जितनी बातें अपने पिताजी से शेयर करती थी उतनी मां से नहीं कर पाती थी।पिताजी का हर निर्णय मुझे मान्य होता ।

मां का महत्व उस दिन अधिक समझ आया जब मेरी बेटी ने अपना पहला टीनएजर टैंट्रम दिखाया।गुस्से में भरी मैं ......तभी मां का फोन आया ,अभी बेटी के व्यवहार का गुस्सा उगल ही रही थी कि मां ने हंसते हुए धीरे से मेरे तेरहवें साल का जिक्र छेड़ दिया।अब मैं चुप ......फिर याद करती हूं वो ढेर सारी बातें जो मां बिन कहे समझातीं रहीं थीं।हम अनजाने में उन्हें कौपी करते करते बड़े हो गए।

आज जब बच्चे कहते हैं मां तुम नानी जैसी होती जा रही हो तो बहुत अच्छा लगता है।

मां पिताजी की एक बहुत प्यारी तस्वीर और जोकर बने हम ।

#happy_mothers_day

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