किंडल - ला ला ला
किताब- अरे कोई इधर भी देखो ।मेरी धूल तो झाड़ दो।
किंडल - ला ला ला (किताब को मुंह चिढ़ाता है ) पड़ी रहो एक कोने में चुपचाप।
किताब - क्या जमाना था मेरा भी ।लोग हाथों हाथ लेते थे।
किंडल - अब जमाना मेरा है ।अब सबके हाथों में मैं हूं।तुम तो अब पुराने जमाने की बात हो गई हो।
किताब- इतना मत इतराओ।कुछ लोग अभी भी मुझे चाहते हैं बहुत ।
किंडल - अरे ,कुछ ही इक्के दुक्के लोग होंगे जो अब तुमपर पैसा खर्च करते हैं ।मैं खूबियों से भरी हूं , इसलिए लोग मुझे पसंद करते हैं ।
किताब - हुंह , खूबियां ।मुझसे ज्यादा!
किंडल - तो क्या ,न ई पीढ़ी मेरा खूब इस्तेमाल कर रही है । मैं सस्ती हूं ।एक बार में कई कहानियां पढ़वाती हूं ।
किताब- मैं थोड़ी महंगी जरूर पर सालों साल लोगों का साथ निभाती हूं।
किंडल- वृक्षों को काटकर तुम्हें बनाया जाता है।
किताब - तुम्हारे प्रयोग से बच्चों को चश्मा चढ़ जाता है।
किंडल- एक किताब में एक कहानी।
किताब - मैं सदियों से रानी ,तुम तो हो बस आनी - जानी।
किंडल- तुम कितनी भारी भरकम।
किताब - खर्च कराती खूब रकम।
किंडल- छोटे छोटे अक्षर वाली ,बार बार फट जाती हो ।
किताब - तुम भी बच्चों को स्क्रीन की आदत लगाती हो।
किंडल - फिर भी लोग मुझ ही को चाहें।तुमसे दूर भागते जाएं।
किताब - मेरी खुशबू और स्पर्श , बरसों तक हैं साथ निभाएं।
किंडल - कहती तो तुम ठीक हो बहना , आंखों को सच में पड़ता बहुत कुछ सहना।
किताब - इसमें नहीं कोई मेरी गलती ,मन मस्तिष्क ने खाई पल्टी।
एक दिन ऐसा आएगा ,बच्चा बच्चा समझ जाएगा ।
किंडल - कभी नहीं समझ आए ।कम खर्चे में ज्यादा पाएं।
किताब- हम्म ,पर बहना एक बताओ ,कोई उपाय हमें सुझाओं।
किंडल - अब आई बुद्धि ठिकाने।
किताब - हम दोनों का काम समान , फिर ये कैसा झगड़ा?
किंडल - (सोचती हुई सी )- तो चलो लगाएं पूरी दुनिया में आज से ज्ञान का तड़का।
किंडल + किताब- (दोनों साथ साथ ) आओ आओ सब आ जाओ
खूब पढ़ो और खूब गुनो।
ज्ञान का जब उजियारा फैले
अपना देश तब सबसे आगे निकले।