मुंबई में अमूमन 'ब्रेड वाला ' घर-घर आकर ही अंडा,ब्रेड,पाव,फरसाण (नमकीन)की सप्लाई करता है ।इनके काम करने का तरीका बहुत अद्भुत है।अक्सर एक गाॅव के लोग एक एरिया ले लेते हैं , जब दल का एक सदस्य गांव जाता है तो उसी का दूसरा बंधु उस क्षेत्र को संभाल लेता है।इस तरह बारी बारी से ये गाॅव और मुंबई आते जाते रहते हैं।पिछले इक्कीस सालों से यही परिवार हमारे यहां आता है सो पुरानी के साथ नई पीढ़ी से भी परिचय है।
हमारे ब्रेड वाले भय्या अमरोहा के रहने वाले हैं।बात -बात पर कमाल अमरोही का जिक्र करते हैं। बहुत मीठा गाते है। मोहम्मद रफी के गीतों के तो दीवाने है ।रोज एक दो लाइन सुनाकर ही जाते है।यदाकदा घर के दुख-सुख की बातें भी करते हैं। एकाध बार घर में बैठकर मेहमानों के साथ भी सुर लगाए।एक दिन पहले यदि बता दो कि "भैय्या कल महफ़िल जमाते हैं "तो जल्दी सामान बेचकर हाजिर हो जाते ।उस दिन बेशक उसका पहनावा रोज से अलग होता है।हाथ में गाने की छोटी सी डायरी भी मौजूद होती है। जिसमें ढेर सारे पुराने भूले बिसरे गीतों का खज़ाना होता है ।
वह न सिर्फ गीत अच्छे गाते है बल्कि दिल के भी बहुत नेक है।एक दिन मुझे बताते हैं कि वह जैसे ही हमारी सोसायटी के गेट में पहुंचते हैं तो सबसे पहले दुआ करते हैं ' अल्लाह सब लोगों को सेहतमंद रखे।' दिन रात मेहनत कर दूसरों के लिए दुआ करने वाला इंसान कितने बड़े दिल का हैं।कोरोना के कारण इनका धंधा भी मंदा पड़ गया ।
तो आज हमारे ब्रेडवाले भैय्या का जन्मदिन है।जब पति और वे 'हर फिक्र को धुंएएएएएए में उड़ाता चला गया' डुएट गा रहे थे तो हमने उन्हीं की बास्केट से केक निकाल कर उन्हीं को खिला दिया।
#breadwala
#mumbai_life
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें