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शनिवार, 27 मार्च 2021

 रश्मि रविजा Rashmi Ravija को मैं ब्लौग के दिनों से जानती हूं।फिर मुंबई आकर व्यक्तिगत परिचय हुआ। फेसबुक में उनका लिखा हमेशा पढ़ती हूं । 


अपने परिचितों के बारे में कहना - लिखना ज्यादा मुश्किल होता है ।रोज / हमेशा उन्हें पढ़ने की आदत हो जाती है तो सहज ही विचार एकाकार हो जाते हैं।इसलिए ख्याल ही नहीं आया कि उनकी कभी की पढ़ ली किताब के बारे में तुरत फुरत कुछ लिखा जाए।


कल एक सहकर्मी ने 'बंद दरवाजों का शहर ' वापिस करते हुए कहा ," इनकी कहानियां बहुत अच्छी हैं ,इनकी लिखी दूसरी किताब हो तो दीजिए न।" उन्हें 'कांच के शामियाने' देने के लिए तो बैग में रख ही ली और ….


 सामयिक विषयों से सहजता से लिखती रश्मि रविजा की लेखन जगत में खूब पहचान है। फेसबुक में अलग अलग मुद्दों पर लिखी पोस्ट खूब गुदगुदाती हैं।उनके लेखों को पढ़कर कई बार तो लगता है अरे यही तो हम भी सोच रहे थे ।


 'कांच के शामियाने 'की अपार सफलता के बाद ' बंद दरवाजों का शहर'कहानी संग्रह आया जिसमें कुल बारह कहानियां हैं।सबसे अच्छी बात यह है कि उनकी कहानियों के किरदार हमें आसपास ही मिल जाते हैं इसलिए कहानी से कनैक्ट होने में समय नहीं लगता ।वे हर उम्र के चरित्रों से भली -भांति परिचित हैं और बड़ी खूबसूरती से उन्हें कहानियों में स्थापित करतीं हैं। स्त्री मन हो या बाल मनोविज्ञान , युवामन सभी को गहराई से चित्रित करतीं हैं अपनी कहानियों में।हम लोगों को साधारण सी लगने वाली बातों को उनकी लेखनी असाधारण बना देती है।सभी बारह कहानियां अलग रंग लिए अलग पारिवारिक - सामाजिक परिवेश को प्रस्तुत करतीं हुई पाठक को बांधे रखती हैं। 


आजकल रश्मि पक्षियों की दुनिया पर शिद्दत से लिख  रहीं हैं। उम्मीद है कि शीघ्र ही पक्षी जगत पर पुस्तक हमारे हाथ में होगी।

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