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शनिवार, 7 मार्च 2020

पिता कभी साधारण नहीं होते खासकर लड़कियों के पिता, उनके पहले हीरो होते हैं।

पिता सपने देखने सिखाते हैं, सपने जुटाते हैं, उन्हें पूरा करते हैं। मेरे लिए मेरे पिताजी (मैं बाबू कहती हूँ उन्हें)आज भी विशिष्ट हैं उन्होंने हमे हमेशा विचारों की स्वतंत्रता दी, हमें बेटी की तरह नहीं एक व्यक्ति की तरह बड़ा किया, अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी।

वैज्ञानिक पिता की बड़ी इच्छा थी कि मैं भी वैज्ञानिक बनूँ पर मैंने उनके सपनों को चकनाचूर कर हिंदी विषय लिया। कुछ समय तक नाराज रहे पर फिर एक ही बात कही जो भी पढ़ना है पूरा पढ़ो और पूरा समझो।

अपने स्वास्थ्य का खूब खयाल रखने वाले टैनिस प्लेयर पिताजी कभी बुखार में भी दो सेट खेलकर अपने मित्र डाक्टर हो हैरान कर देते थे।

87 वर्ष के हो गए हैं पिताजी, अपने को संभालने के प्रयास में लगे रहते हैं, उनकी वजह से किसी को तकलीफ न हो इसका हमेशा ध्यान रखते हैं। मेरे लिए हर दिन फादर्स डे है फिर भी नई पीढ़ी के बनाए इस दिन पर पिता को समर्पित ये कविता।

 बाबू  अब देख नहीं पाते
अब वे किसी को पहचान नहीं पाते
किसी की बात सुन नहीं पाते
चलते चलते अचानक थक कर बैठ जाते हैं।
कभी उनके लेख छपते थे जानी मानी पत्रिकाओं में।
पर अब उनके दस्तखत बैंक में भी नहीं चलते।

पहले उनकी तनख्वाह से घर चलता था
अब भी उनकी पेंशन से ही घर चलता है।
पहले भी कम ही खर्च थे उनके अब और कम हो गए
पैसों का हिसाब किताब अब बिलकुल नहीं रख पाते,
पर अब भी वो अपनी पासबुक अपनी जेब में रखते हैं।

बचपन में  मुझे चलना सिखाया था
पढ़ना लिखना  सिखाया
मुझमें और भाइयों में
कभी भेदभाव नहीं किया।
मेरी किसी इच्छा अनिच्छा पर रोक नहीं लगाई।
सर उठाकर जीना सिखाया।
जब जब मैंने हौसला गंवाया था
बाबूजी ने हाथ बढ़ाकर उठाया।
पर अब हर फैंसले के लिए वे मेरी ओर देखते हैं।

 
दो एक साल से मैं उनसे मिल नहीं पाई ,
उन्होंने भी मिलने की इच्छा नहीं जताई।
वे खुश हैं कि मैं अपनी गृहस्थी में रमी हूं,
मुझे भी कहां फुरसत है  घर गृहस्थी से,
बीच बीच में फोन में जोर देकर बताते हैं
अपने ठीक होने की खबर जताते हैं।
उनकी लड़खड़ाती जबान हाल बता देती है उनका।
पर हर बार भिटौली  का लिफाफा समय पर भेज ही देते हैं

सोचा है इस बरस उनसे मिलकर आउंगी
बहुत सी बातें हैं उन्हें बताने को
कुछ खरीदारी करूंगी उनके लिए
कुछ समय उनके साथ बैठकर जानूंगी
वटवृक्ष से बाबूजी अब क्या सोचते हैं।

#my_father_my_hero

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