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शनिवार, 7 मार्च 2020

बहुत आहत हूँ, उबर नहीं पा रही। बार बार दिल वहीं चला जा रहा है  कि सिर्फ बारह साल में इतनी समझ कैसे आ गई मेरे बच्चे को । अपने को दोषी मानती हूँ। कहीं मैं भी उस सिस्टम में हूँ जो इतने छोटे बच्चे में डर, घृणा, नफरत, ईर्ष्या, नकारात्मकता पैदा कर रहा है।

आइए आज देश ,समाज, धर्म, जाति से पहले अपने घर की परवाह कर लें। घर बचेगा तो देश बचेगा। बच्चे बचेंगे तो समाज बचेगा, हम बचेंगे।

अपील है माता पिता, अभिभावकों से।

बच्चा हमारा खिलौना नहीं, एक जीता जागता इंसान है भावनाओ से भरा। उसका सम्मान करें। तभी वो हमारा सम्मान करेगा।

 छुट्टी के दिन घर, आसपास की बाजार,घर के आसपास की चीजों से बच्चे को रूबरू कराएं। कम से कम जाएं मौल।ब्रांड्स से कम से कम दोस्ती कराएं।

घर के छोटे बड़े काम बच्चों के साथ करें कराएं । बच्चों में जिम्मेदारी आएगी। किसी काम को छोटा न समझें। खाने में न नुक्ताचीनी करें न बच्चों को करने दें। सुपरफीशियल दुनिया की जगह पुख्ता जमीन दें।

बच्चों को बचपन से न सुनना सिखाएं। जब हमें लगे कि बच्चा जिद्द कर रहा है तो पहले देखें कि क्या जिद्द जायज है।

उम्र का लिहाज करें और करना भी सिखाएं। घर परिवार के बुजुर्गों, आसपास के उम्र में बड़े, गुरू जनों का आदर करेगा तो ही हमारा आदर करेगा।

हम मोबाइल और टीवी का इस्तमाल कम से कम करें। ये न भूलें हमारे बच्चे इस शताब्दी के बच्चे हैं, इन्हें टैक्नोलॉजी से दूर रखने की चेष्टा करना हमारी ही मूर्खता है। हां घर का प्रत्येक व्यक्ति सीमित समय में इनका प्रयोग करे, हमें ध्यान रखना होगा।

संतोषी बनें और बनाएं। जितना मिला है काफी है। दुनिया की हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती। बेस्ट का कोई पैरामीटर नहीं होता।

अपने जमाने के उदाहरण न दें। और दें तो दिल में हाथ रखकर याद करें कहीं आप झूठ तो नहीं बोल रहे। परफैक्शनिस्ट न बनें न बच्चों को बनाएं। अपने विचारों को बच्चों पर न थोपें।

सब समझदार हैं। अपनी समझदारी बच्चों पर न थोपें।जिएं और उन्हें भी जीने दें।तन मन से स्वस्थ युवा ही देश के गणतंत्र और संविधान की रक्षा करेंगे।

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें।

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