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रविवार, 27 सितंबर 2015


आज मै प्यार बनाने वाली हूँ|
ज़िन्दगी की कड़ाही में,
समय का तेल डालकर,
नोक -झोंक का तड़का डालने वाली हूँ,
आज में प्यार बनाने वाली हूँ।
संवेदना को छोटे- छोटे भागो में बाँट,
रिश्तों को उसमे डूबा दूंगी.,
नरम हाथो से थपथपाकर,
थोड़ा आँखों की नमी में भिगाकर,
हंसी और कहकहों के मसाले डालने वाली हूँ,
आज मैं प्यार बनाने वाली हूँ।
शांति की चाशनी में,
स्नेह की डिबिया खोल,
गरिमा की सुगंधि से पूर्ण,
आदर के वर्क़ से इसे सजाने वाली हूँ,
आज में प्यार बनाने वाली हूँ।

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