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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

virasat mein




मानव,मानवों की व्यथा
पहचान ले जरा सा
 वर्ना अपने, रक्त भी भुला देंगे
आपसी रिश्ते औ पहचान
वह साझेदारी
जिसे पूर्वजों से पाया था
हमने विरासत में
आने वाली पीढ़ी को क्या बतायेंगे 
 जो अपने ही रक्त को
खुद से प्रथक  समझेगी
क्या हम उनेहे देंगे
विरासत में
यही खुदगर्ज़ी ,बदला, खून..............

mumbai blast

मुंबई ब्लास्ट एक त्रासदी ,कि शब्द दिल से निकल ही नहीं रहे दिल में बहुत गुस्सा और दुःख है जो सबके साथ बांटकर कम करना है
किसी रोते हुए को
 हंसा आये
 दर्द एकाध उनके
चलो बाँट आए.
थोड़ी सी मरहम
अपनी ओर से
उनको लगा आयें
अब न बैठे यूँ  ही
अपने नेताओ के आसरे
चलो कुछ कदम
अब हम ही बढ़ाये
खून तो हमारा  ही है
चाहे  बेटा किसी का हो
निगाहे किसी माँ की
या बहन की
खोजतीं   होंगी उनको
चलो उन निगाहों का साथ
निभा आए
कल की दास्ताँ  
बस सिर्फ खबर न रह जाये
अपना ही कोई खबर न बन जाये
चलो सोते
दिलो को जगा आयें
किसी रोते ही को
हंसा आयें . 

सोमवार, 11 जुलाई 2011

Dedicated to school.....who loved us selflessly...

Spring tale

ये विदा तो नहीं
 परंपरा है एक
आशीर्वाद देने की
क्योंकि  में जनता हूँ तुम
 मुझसे दूर नहीं जा रहे
क्योंकि  तुम मुझसे दूर जा ही नहीं सकते
क्योंकि तुम तो मेरे हो अंग हो
संलग्न हो
आत्मा हो .
में माँ या ईश्वर तो नहीं
पर अपना सर्वश्रेष्ठ   तो देने की
कोशिस में निरंतर संघर्ष रत रहा
उतना ही जितना तुम
 पहले दिन से तुमने संघर्ष किया
कलम पकडने से के लिए
दो कदम चलने के लिए
दो कौर खाने के लिए
में भी माँ के सामान ही
साक्षी रहा
संलग्न रहा.
 हाँ में तो
साक्षी  हूँ
तुम्हारी  आढी  तिरछी रेखाओं का
तुम्हारे  डगमगाते क़दमों का . मैने  देखा है तुम्हे
अकेले रोते हुए
 खिलते हुए
शरारत करते हुए
तुम्हारी  चिल्लाहट
 मेरे भीतर तक
समां गयी है कही
तुम्हारी  ख़ामोशी
मुझे सताती है
तुम गिरे तुम उठे तुम दौडे
कई बार मैने तुम्हे  थामा है अपनी बाँहों में
हाँ में साक्षी हूँ तुम्हारे  तनाव
तुम्हारी  उदासी
तुम्हारी  तड़प
पर यकीं मनो
कि में माँ नहीं
तो भी तुम्हारे  हर आंसू के साथ रोया
हर हंसी के साथ किलका
हर  तड़प में तडपा
तुम बिखरे तो में बिखरा
तुम जुडे तो में जुड़ा
तूम  बने तो में बना
इसलिए तो
आज में खुश हूँ
तुम्हारे साथ दो कदम चलने  का गर्व
व्यक्त कर दिया मैने
इस उम्मीद के साथ कि ये दो कदम ,दो कदम नहीं
साथ है जीवन का
इसलिए  तो कह रहा हूँ
यह विदा नहीं
 एक परंपरा है
 आशीर्वाद की
कि आज
एक माँ के सामान
आत्मविश्वास दे रहा हूँ
कि तुम चाहो  भी तो
छोड़ न पाओगे
मेरा साथ
में संलग्न हूँ
में साक्षी हूँ
में साथी हूँ
तुम्हारा सदा से
सदा के लिए.

For my daughter



बेटी तुम न समझोगी
मेरा प्यार ........
गर्भ में तुम्हरी आहट
देती थी दिल को जो झंकार
बेटी तुम नहीं समझोगी.......
 नन्ही नन्ही हथेलिओं की गर्माहट
तुमारी मीठी किलकारी
बनी मेरे जीवन का संगीत
बेटी तुम न समझोगी.........
तुम्हारी  उनीदी आंखों  में
 देख ली तभी तुम्हारी   बारात
दिन औ रात का यह स्वप्न
बेटी तुम नहीं समझोगी .........
तुम्हारे  बढने का अहसास
बढाती है धड़कन  मेरी
तुम्हारी   आँखों  के सपने
उड़ाते रातों की नींदे मेरी
बेटी तुम नहीं समझोगी ........
एक दिन आयेगा
एक राजकुमार
तुम्हारा  थामेगा जब हाथ
 सजा डोली,पर मन करता चीत्कार
गाते होठ बरसाती आँख
बेटी तुम न समझोगी ........जीवन का आना
तुम्हारे गर्भ में आहट
उसकी नन्ही हथेलिओं की गर्माहट
ममता तुम्हारी  आँख
बनेगा जब जीवन संगीत
बेटी तब तुम समझोगी
बेटी तब तुम समझोगी
मेरा प्यार .......

रविवार, 10 जुलाई 2011

rishta

Misty winter afternoon

अगर ये सच है
कि हमारे बीच
 कोई रिश्ता नहीं
 तो फिर क्यों
तुम
रोज़ सवेरे सूरज की किरणे बनकर
मेरे बिस्तर तक पहुच जाते हो
 दिन में मेरी रसोई की
 खिड़की से आती धूप बन जाते हो
और रात को चाँद की
रौशनी में समां
मेरे अंधेरे को समेटते जाते हो
मेरे अंतर तलक
शीतलता भर्ती जाते हो
 मेरे ख्यालों में रोज़ रोज़ आते हो
साये की तरह हर वक़्त
मेरे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को
खुद में डूबते  जाते हो
रिश्तों से दूर
 क्या नाम दूँ
क्या ये अनाम रिश्ता
हमेशा की तरह
हमेशा रहेगा
अनाम....


वो बिहारी की नायिका नायिका नहीं
 'प्रसाद' की कामायनी नहीं
या फिर भवनों में प्रसादों में पलकर बढ़ी नहीं है.
 ऊँची अट्टालिकाओं में चड़ी  नहीं है
. मृगनयनी, पद्मिनी की उपाधियों से विभूषित नहीं है.
वो तो सावली सी
छोटी छोटी आँखों वाली
 काले होठ, मोटी नाक वाली है.
भीड़ भरे इस शहर में
 एक बस से दूसरी बस में चढ़ती
भरी दुपहरी में चप्पल चटकाती  
अपने दहेज़ के लिए
कुछ रुपये सहेजती
घर को सम्हालने वाली
उस समाज की नायिका है
जहाँ हर वक़्त अपमान से प्रताड़ित होना
उसका सौमाग्य है.
बार बार गिरकर जीना
उसकी नियति है
अपनी जिंदगी को बार बार जलाकर भी
खरा सोना नहीं बन पाती  है
 हर बार उसी रूप में
मुझे वो नज़र आती है.