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सोमवार, 9 अगस्त 2021

किंडल - किताब वार्ता (बच्चों का कोना)

 किंडल - ला ला ला

किताब- अरे कोई इधर भी देखो ।मेरी धूल तो झाड़ दो।

किंडल - ला ला ला (किताब को मुंह चिढ़ाता है ) पड़ी रहो एक कोने में चुपचाप।

किताब - क्या जमाना था मेरा भी ।लोग हाथों हाथ लेते थे।

किंडल - अब जमाना मेरा है ।अब सबके हाथों में मैं हूं।तुम तो अब पुराने जमाने की बात हो गई हो।

किताब- इतना मत इतराओ।कुछ लोग अभी भी मुझे चाहते हैं बहुत ।

किंडल - अरे ,कुछ ही इक्के दुक्के लोग होंगे जो अब तुमपर पैसा खर्च करते हैं ।मैं खूबियों से भरी हूं , इसलिए लोग मुझे पसंद करते हैं ।

किताब - हुंह , खूबियां ।मुझसे ज्यादा! 

किंडल - तो क्या ,न ई पीढ़ी मेरा खूब इस्तेमाल कर रही है । मैं सस्ती हूं ।एक बार में कई कहानियां पढ़वाती हूं ।

किताब- मैं थोड़ी महंगी जरूर पर सालों साल लोगों का साथ निभाती हूं।

किंडल- वृक्षों को काटकर तुम्हें बनाया जाता है।

किताब - तुम्हारे प्रयोग से बच्चों को चश्मा चढ़ जाता है।

किंडल- एक किताब में एक कहानी।

किताब - मैं सदियों से रानी ,तुम तो हो बस आनी - जानी।

किंडल- तुम कितनी भारी भरकम।

किताब - खर्च कराती खूब रकम।

किंडल- छोटे छोटे अक्षर वाली ,बार बार फट जाती हो ।

किताब - तुम भी बच्चों को स्क्रीन की आदत लगाती हो।

किंडल - फिर भी लोग मुझ ही को चाहें।तुमसे दूर भागते जाएं।

किताब - मेरी खुशबू और स्पर्श , बरसों तक हैं साथ निभाएं।

किंडल - कहती तो तुम ठीक हो बहना , आंखों को सच में पड़ता बहुत कुछ सहना।


किताब - इसमें नहीं कोई मेरी गलती ,मन मस्तिष्क ने खाई पल्टी।

एक दिन ऐसा  आएगा ,बच्चा बच्चा  समझ जाएगा ।

किंडल - कभी नहीं समझ आए ।कम खर्चे में ज्यादा पाएं।

किताब- हम्म ,पर बहना एक बताओ ,कोई उपाय हमें सुझाओं।

किंडल - अब आई बुद्धि ठिकाने।

किताब - हम दोनों का काम समान , फिर ये कैसा झगड़ा? 

 किंडल - (सोचती हुई सी )- तो चलो लगाएं पूरी दुनिया में आज से ज्ञान का तड़का।

किंडल + किताब- (दोनों साथ साथ ) आओ आओ सब आ जाओ 

खूब पढ़ो और खूब गुनो।

ज्ञान का जब उजियारा फैले

अपना देश तब सबसे आगे निकले।

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