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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

mumbai blast

मुंबई ब्लास्ट एक त्रासदी ,कि शब्द दिल से निकल ही नहीं रहे दिल में बहुत गुस्सा और दुःख है जो सबके साथ बांटकर कम करना है
किसी रोते हुए को
 हंसा आये
 दर्द एकाध उनके
चलो बाँट आए.
थोड़ी सी मरहम
अपनी ओर से
उनको लगा आयें
अब न बैठे यूँ  ही
अपने नेताओ के आसरे
चलो कुछ कदम
अब हम ही बढ़ाये
खून तो हमारा  ही है
चाहे  बेटा किसी का हो
निगाहे किसी माँ की
या बहन की
खोजतीं   होंगी उनको
चलो उन निगाहों का साथ
निभा आए
कल की दास्ताँ  
बस सिर्फ खबर न रह जाये
अपना ही कोई खबर न बन जाये
चलो सोते
दिलो को जगा आयें
किसी रोते ही को
हंसा आयें . 

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