1 june2012.......
अट्ठारह वर्ष यूँ ही गुज़र गए
आज भी याद है कैसे
नवेली दुल्हन बनकर आई
तुम्हारी आंगन में
कितना शरमाई थी
कितना घबराई थी न जाने
कैसे निभेगा जन्मों का साथ
माँ ने कहा था जब बांधी थी
दुपट्टे में गांठ
अब है निभाना ज़िन्दगी भर साथ
और तब से चाल रहे है साथ
क़ि इतने वर्षों का संकलन
इतने वर्षों का साथ
इतनी ऋतुओं का आना और जाना
न जाने कैसे गुज़र गए
इतने वर्ष
तुम्हारी हाथों की पकड़
कभी कमज़ोर न हुई
तुम्हारी आंखों की चमक
कभी फीकी न पड़ी
बस अबोले से होंठ
करते रहे वादा
जो जन्मो का संगम है
सदा है निभाना ..............
बहुत मीठी कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् meeta
हटाएंये एक मीठा सा वादा जीवन भर का ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा भाव हैं ...
धन्यवाद्
हटाएंवायदा कायम रहे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
हटाएंधन्यवाद् sangeetaji
जवाब देंहटाएंbahut sundar pyaare ehsaason ko baakhoobi shbd baddh kiya ...vaah
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
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