पृष्ठ

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

थके दिमाग को कुछ आराम चाहिए 


काश कुछ अलग होता
दिन में रात और
रात में दिन होता
 या कि रात गुलाबी
और सांझ हरी
तोता सुनहरा होता
या कव्वा गोरा
बेरंग इन्द्रधनुष
रंगों से भरा आसमां होता
बिन बादल बरसात
या जमीं पर
बादलों का घर होता 
कुछ ऐसा होता कि सब
गड़बड़ होता
या वो ही सही होता
या अलग  देखने का ढंग
या  अलग दृष्टि कोण
या  सोच में विस्तार
सब गडमड
सब गड़बड़ होता
और वही सच होता
काश कुछ अलग होता .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें