नवरात्री की शुभकामनाएँ

नौ दिन के उपवास, नौ देविओं का आह्वाहन, हवन, दान, भजन - कीर्तन - श्रद्धा, कंचक पूजन - स्त्री के अनेक प्रतीकात्मक रूपों की पूजा -अर्चना में कैसे गुजर जाते है, कितनी श्रद्धा, कितने भक्ति भाव से बिताते है हम ये नौ दिन कि भूल जाते है - साल के तीन सौ पैसठ दिन - कितने बलात्कार ,कितना मानसिक उत्पीड़न ,कितना अत्याचार ! काश हर तीन सौ पैसठ दिन हम नवरात्री मनाते -

(1)
(2)
लाल पीले पुष्प लेकर ,
तुम्हारे द्वार आना,
मुझको हरदम भाता है.
पर तुम्हारे कजरारे नैना,
तुम्हारे द्वार आना,
मुझको हरदम भाता है.
पर तुम्हारे कजरारे नैना,
देख मेरा दिल रोता है।
कितने आंसू भरकर इनमें,
तू दर्द छुपाये बैठी है.
पर माँ तेरी आँखे मुझसे
बार-बार ये कहती है-
इस बेटी के घर का
चूल्हा आज नहीं जला ,
उस बेटी के भर्ता ने
उसको कल रात बहुत ही पीटा है.
इसकी चुन्नी गली के,
उस मनचले ने खिची है.
इस लड़की की देह न जाने
किस- किस ने कुचली रौंदी है.
फिर भी ओढ़े लाल चुनरिया
भक्तो के आगे तू बैठी है
हँसते ओंठ भरे नैनो से
कुछ सन्देश तू देती है.
(2)
काश, हम रोज़ नवरात्री मनाते।
जिनके घर चूल्हे नहीं जले है,
रोज़ उन्हेें भोजन खिलाते।
कुछ निर्वसनो को,
वस्त्र पहना पाते ।
कुछ बेघरों को छत दे पाते,
तस्वीरो और पत्थरों के बजाय
ज़िन्दगी की पूजा कर पाते।
सुन्दर प्रस्तुति रीना जी ...!
जवाब देंहटाएंजय माता की
bahut sarthak prastuti .purush-pradhan samaj ke dohre vyavahar ko khola hai aapne . aabhar
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