स्मृतियाँ
चलो कुछ और याद कर लें
भूले हुए किस्से
बिसरी हुई कहानी.
हाथों में हाथ डाले
खाली सड़कों में घूमना भी
देता था मायने जिंदगी के .
सूखे पेड़ों की पत्तियां भी
लगती थी गीत गाने .
पसरी हुई ख़ामोशी
करती थी लाख बाते .
दिन हो गए थे गैर
अपनी थी तब वो राते
रातों को आधी- आधी
करते थे चाँद से बातें
चांदनी थी जब अपनी
हमसफर थी ख़ामोशी
वो लजाते गीत गाते
गुलाबी होठों की सुर्खिया थी
आने लगी थी फिर से
जीवन में बासंती बौर
कैसी थी अपनी हस्ती
कैसी थी वो मस्ती
गुम हो गए कहाँ
फिर वे ज़िन्दगी के दौर
रह गए है किस्से
बिसरी हुई कहानी.
चलो कुछ याद कर लें
बिसरी हुई कहानी ........
इस तरह की कहानियों में बहुत कुछ अपना-अपना सा मिल जाता है।
जवाब देंहटाएंdhanyawad manoj ji
जवाब देंहटाएंjitnaa yaad karte hein
जवाब देंहटाएंutnaa hee khote hein
bhaavnaaon ke bhanwar
gote lagaate hein
ateet kee nadiyaa mein
bahte jaate hein
achhee rachnaa
bahut hi sundar rachana hai...
जवाब देंहटाएंthanks rajendra ji
जवाब देंहटाएंthanks reena ji