वो पाहुने सा
उमंग से पंख फैलाये
नवीनता की अनुभूति लिए
भूत को हथेली में दबाये
सप्तरंगी किरणों में सवार
उन्मुक्त आकाश से आ रहा है
मेरे द्वार
और मैं द्वार खोले
बांह फैलाये अभिनन्दन रत हूँ
आस में
विश्वास से जाग्रत है मेरी आत्मा
कि नव वर्ष लेकर आयेगा
नव प्रभात .........
वो पहुना बन जायेगा
मेरा मीत
और में उसके साथ सवारुंगी जीवन
उन्मुक्त आकाश में पसारुंगी पंख
गाऊंगी
नव जीवन के नव गीत
वो पहुना बन जायेगा
जवाब देंहटाएंमेरा मीत और में उसके साथ सवारुंगी जीवन
उन्मुक्त आकाश में पसारुंगी पंख
गाऊंगी
नव जीवन के नव गीत
आपके पोस्ट पर आना अच्छा लगा । धन्यवाद ।
नव वर्ष पर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
धन्यवाद् प्रेमजी ,संजय जी आपके प्रोत्साहन से नयी उर्जा मिलेगी
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