हाथ
हर बेटी मानती है कि उसके पिताजी इस दुनिया का सबसे अच्छे पिता हैं ,उन जैसा कोई दूसरा हो ही नहींसकता .मुझे भी यही विश्वास है .मेरे बाबूजी जैसा कोई नहीं सारे संसारमें .कोई समस्या हो ,कोई प्रश्न हो
हर बेटी मानती है कि उसके पिताजी इस दुनिया का सबसे अच्छे पिता हैं ,उन जैसा कोई दूसरा हो ही नहींसकता .मुझे भी यही विश्वास है .मेरे बाबूजी जैसा कोई नहीं सारे संसारमें .कोई समस्या हो ,कोई प्रश्न हो
सबका हल बाबूजी के पास ....आज मैं जहाँ हूँ जैसी भी हूँ बाबूजी की वजह से ...मैं इस ऋण से कभी भी उऋण नहीं हो पाऊँगी .यदि कई जन्म होते है तो हर जीवन में आपको ही पिता रूप में पाऊ ....
मैने कल रात
एक सपना देखा
सपने में बाबूजी थे,माँ थीं
सभी थे,परिवार था
और सबसे साफ़ थे
बाबूजी के हाथ।
उनकी सख्त उंगलियो
के बीच
मेरी नरम हथेली
एक सुदृढ़ आश्रय।
संयत,कोमल पर दृढ़ .
उनको पकड़ते ही
बिना हिले-डुले
मेरे पाँव उठ जाते
मंजिल के पार,
आत्मविश्वास के साथ .
पीठ पर
उनकी हथेलिओं का अहसास
कभी सांत्वना से भरा
कभी उत्साह जगा देता
तो कभी सर पर
नरमी से पड़
करता दुलार .
कभी दृढ ऊँगली
उठ पड़ती
मनाही की सलाह देती.
हर बार असरदार
उन हाथों के बलबूते
ज़िन्दगी यहाँ पहुँच गयी......
आँख खुली तो याद आया
कल ही तो
बैंक मैनेजर ने बताया
आपके बाबूजी के हाथ
अब लिख नहीं पाते
बहुत है हिल जाते
अब कलम नहीं पकड़ पाते
कमज़ोर हो गए है
इसलिए अंगूठे से
चलाना पड़ेगा काम
गडमड से हुए चित्र
असहाय सी काया.
कैसी है ईश्वर की माया।
बाबूजी के हाथ
अपनी हथेलिओं में थाम
मन ही मन किया वादा
एक इरादा ......
और फिर चल पड़ी उस राह पर
जिस राह को दिखाते रहे
बाबूजी के हाथ .
पिताजी के प्रति समर्पित यह उद्गार मन को छू जाते हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् मनोजजी
जवाब देंहटाएं