आज सुबह-सुबह एक कार्यक्रम देख रही थी.इमरान साक्षत्कार कर रहे थे जाने माने कलाकार विक्टर बनर्जी का..इसी दौरान उन्होंने एक बहुत ही हृदयस्पर्शी कहानी सुनाई जो इस प्रकार है .....
'उत्तराखंड बचाओ आन्दोलन' के समय की बात है.विक्टर उस समय मसूरी में रह रहे थे और आन्दोलन में संलग्न थे, वे बताते हैं कि वे उत्तराखंड के लोगों के परिश्रमी और निर्मल व्यवहार से बहुत प्रभावित हैं .उनका मानना है कि वहां के लोगों को ईश्वर का आशीर्वाद है . एक दिन उनका दूधवाला उदय उनके पास आया और बोला साहब मैं आपको ५ रूपये किलो दूध देता हूँ। रस्किन बोंड साहब को छह में देता हूँ और बाज़ार में सात रूपये में बेचता हूँ.आप मुझे ज्यादा नहीं दे सकते तो कम से कम रस्किन साहब के बराबर तो दीजिये.विक्टर बहुत शर्मिंदा हुए और बोले मैं भी यही सोच रहा था और यदि ऐसा है तो मैं तुम्हारे साथ बहुत अन्याय कर रहा हूँ ..दरअसल मैं ४ साल से खाली बैठा हूँ . कुछ कमा नहीं रहा हूँ इसलिए अभी ६ तो नहीं दे सकता ...उनकी बात पूरी भी न हो पाई कि उदय ने अपनी बीड़ी का तेज़ कश लेते हुए कहा,"ठीक है , साढ़े चार दे देना...और निर्विकार भाव से चल दिया. अनपढ़ मात्र दूधवाला और इतना विशाल ह्रदय .......मुझे गर्व है अपने लोगों पर ....
जवाब देंहटाएंआज सुबह सुबह एक कार्यक्रम देख रही थी.इमरान साक्षत्कार कर रहे थे जाने माने कलाकार विक्टर बनर्जी का..इसी दौरान उन्होने.....(उन्होंने )... एक बहुत ही हृदयस्पर्शी कहानी सुनाई जो इस प्रकार है .....
'उत्तराखंड बचाओ आन्दोलन' के समय की बात है.विक्टर उस समय मसूरी में रह रहे थे और आन्दोलन में संलग्न थे, वे बताते है...(हैं )... की वे उत्तराखंड के लोगो...(लोगों )..... के परिश्रमी और निर्मल व्यवहार से बहुत प्रभावित है .उनका मानना है की वहां के लोगो(लोगों ) को इश्वर(ईश्वर ) का आशीर्वाद है . एक दिन उनका दूधवाला उदय उनके पास आया और बोला साहब में आपको ५ रूपये किलो दूध देता हूँ रस्किन बोंड साहब को छह में देता हूँ और बाज़ार में सात रूपये में बेचता हूँ.आप मुझे ज्यादा नहीं डे....(दे )... सकते तो कम से कम रस्किन साहब के बराबरतो दीजिये.विक्टर बहुत शर्मिंदा हुए और बोले में भी यही सोच रहा था और यदि ऐसा है तो में....(मैं )... तुम्हारे साथ बहुत अन्याय कर रहा हूँ ..दरअसल मैं ४ साल से खाली बैठा हूँ कुछ कमा नहीं रहा हूँ इसलिए अभी ६ तो नहीं दे सकता ...उनकी बात पूरी भी न हो पाई की उदय ने अपनी बीडी(बीड़ी) का तेज़ कश लेते हुए कहा ठीक है साढे(साढ़े) चार दे देना...और निर्विकार भाव से चल दिया. अनपद मात्र दूधवाला और इतना विशाल ह्रदय .......मुझे गर्व है अपने लोगो पर ....
बिंदी तो हिंदी के माथे की शोभा है उसकी उपेक्षा क्यों ?
बहुत ही प्रेरक उत्प्रेरक प्रसंग .आभार .
ram ram bhai
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शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012
चील की गुजरात यात्रा
जी धन्यवाद् .....कोई explaination नहीं दूंगी हाँ थोडा दोष कंप्यूटर में टाइपिंग को अवश्य दूंगी कि बिंदी गायब हो जाती है पर आगे से इसका ध्यान अवश्य रहेगा कि बिंदी की गरिमा रहे ....पुनः धन्यवाद्
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