
.आज बहुत दिनों बाद
मेरी सुबह महकी महकी सी है .
आज बहुत दिनों बाद
मेरे आँगन में धूप बिखरी है
बहुत दिनों के बाद
गूंजे है गीत.........
पल्लव खिले खिले से हैं
बहुत दिनों के बाद
मोगरे की भीनी महक से
महक गया है घर आँगन
मुझे पता ही न था
कि सूरज की किरण ने
तेरा आंगन जो पहले चूमा है
फूलों की महक
तेरे बदन से चुराई है
कि जो हवा मेरे घर की तरफ आई है
वो तेरे दरीचे से होकर आई है ...........
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