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शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

In the fog...
मुझे याद है 
जब कोहरे  से ढकी कांच की खिड़की में
 ख़ामोशी से नाम लिखा करती थी
 दो नाम........
 एक तेरा एक अपना 
गवाही आज भी देती है
 बर्फ की फाहें 
ख़ामोशी से खडे देवदारु कुछ
 वो सामने की पहाड़ी 
जो न देखने का बहाना करती थी तब
 बर्फ का घूँघट ओढ़ कर ...... 

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