मित्र
चलो दोस्त ,
कुछ फुर्सत मिली है
बिता लें लम्हे साथ
कुछ बातें
कुछ किस्से
कुछ यादें .
कुछ पल और जी ले
खिलखिला के हंस ले .
दिलों के जोड़-तोड़
तमाम बंध खोल
पंछी से उड़ लें
समय के आसमान में.
थोड़ी सी और दूरी
जो रह गयी थी अधूरी
तय कर ले चलते चलते
सागर के साथ साथ .
चंदा की रौशनी में
एक और कहानी
तुमको है सुनानी .
वरना तो व्यस्त कर देंगे
फिर से घर के चूल्हे
बच्चों की किताबें
राशन की फेहरिस्त
मेहमानों की आवाजाही
बस की लम्बी लाइन
घर से काम और
काम से घर तक की दौड़
जिन्दंगी की आपाधापी
सालों का लम्बा सफ़र
सालों तक चलने वाला
कि एक पल भी मिले फुर्सत
तो जी ले जिंदगी
चलो दोस्त
कुछ कर लें बाते प्यारी
फ़ुरसत के दो पल यदि मिल जाएं तो समझिए कि सुकून मिल जाता है।
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल आजकल की भागदौड़ में वो मित्रों के साथ मिलकर बैठना ,देरतक गप्प-बहसबाजी स्वप्न हो गया है
हटाएंKitni meethi poem hai !!! That's what friends are for :-)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मीता ,आपने मेरी कविता को अपनी wall में share क्तरके मेरी कविता को दूसरों तक पहुँचाया.
हटाएंजिन्दंगी की आपाधापी
जवाब देंहटाएंसालों का लम्बा सफ़र
सालों तक चलने वाला
फुरसत के कुछ पल भी चाहिये जिंदगी जीने के लिये.
धन्यवाद् रचनाजी
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