क्या बनोगी ?
बचपन में जब भी मैं अपनी बेटी से कहती" क्या बनोगी " उत्तर होता "माँ "
मैने बिटिया को डांट लगायी
अगर नहीं करोगी पदाई...
तो बन जाओगी बाई.
कुछ तो होश करो,
किताबों को खोलो,
और बांचना शुरू करो .
बिटिया बहुत जरुरी है पढना
अगर अभी नहीं सुधरोगी
तो जीवन भर पछताओगी
चार साल पढ़ोगी
तो चालीस साल कमाओगी
जीवन के सब सुख पाओगी
गाड़ी,जेवर और कार
साथ मिलेगा पति का प्यार
जो न पढ़ पाओगी
नहीं कभी गुन पाओगी
न रोटी न कार
सिर्फ मिलेगी फटकार
पशु सा जीवन पाओगी
सिर्फ बाई बनकर रह जाओगी........
भोली भाली बिटिया बोली
माँ, बाई बनना स्वीकार
हरी चुडिया लाल चुनरिया
पहनकर घर सजाउंगी
तुमसे पाए संस्कार को
आगे और ले जाउंगी
छोटा सा ही होगा घर तो पर
प्यार जहाँ का पाऊँगी
माँ, बेटी बनकर ही बस
सेवा सबकी कर जाउंगी
पाकर कार और जेवर माँ
तुमसे और दूर हो जाउंगी
कम से कम बाई बनकर
पास तुम्हारे रह पाऊँगी
गले लगाकर रही बहाती
धार आंसुओं की मैं माँ
कैसे समझाउं इस नादाँ को
जीवन की कटु सच्चाई ...........
बचपन में जब भी मैं अपनी बेटी से कहती" क्या बनोगी " उत्तर होता "माँ "
थोड़ी बड़ी होने पर उत्तर होता "बाई ".उसकी मासूमियत पर हम खूब हंसते .अब वो और बड़ी हो गयी है कि अब तय करना होगा वास्तव में उसे क्या बनना है? फिर हमारा जीवन भौतिकता की चपेट में कुछ इस तरह है कि भावनाएं कही गुम हो जाती है. इसी उहापोह में क्या हम जान पाते है हमारे बच्चों के भीतर क्या चल रहा है ,उन्होने कौन सी दुनिया अपने लिए तय की है ............
अगर नहीं करोगी पदाई...
तो बन जाओगी बाई.
कुछ तो होश करो,
किताबों को खोलो,
और बांचना शुरू करो .
बिटिया बहुत जरुरी है पढना
अगर अभी नहीं सुधरोगी
तो जीवन भर पछताओगी
चार साल पढ़ोगी
तो चालीस साल कमाओगी
जीवन के सब सुख पाओगी
गाड़ी,जेवर और कार
साथ मिलेगा पति का प्यार
जो न पढ़ पाओगी
नहीं कभी गुन पाओगी
न रोटी न कार
सिर्फ मिलेगी फटकार
पशु सा जीवन पाओगी
सिर्फ बाई बनकर रह जाओगी........
भोली भाली बिटिया बोली
माँ, बाई बनना स्वीकार
हरी चुडिया लाल चुनरिया
पहनकर घर सजाउंगी
तुमसे पाए संस्कार को
आगे और ले जाउंगी
छोटा सा ही होगा घर तो पर
प्यार जहाँ का पाऊँगी
माँ, बेटी बनकर ही बस
सेवा सबकी कर जाउंगी
पाकर कार और जेवर माँ
तुमसे और दूर हो जाउंगी
कम से कम बाई बनकर
पास तुम्हारे रह पाऊँगी
गले लगाकर रही बहाती
धार आंसुओं की मैं माँ
कैसे समझाउं इस नादाँ को
जीवन की कटु सच्चाई ...........
Very Sweet and innocent !!
जवाब देंहटाएंThanks Meeta
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता है. पहेले ज़िन्दगी की दौड़ शादी और नौकरी लगने के बाद शुरू होती थी. अब स्कूल जाने के साथ ही शुरू हो जाती है. थोड़े दिनों के बाद पैदा होते ही शुरू हो जाएगी :)
जवाब देंहटाएंsach me bachchon ka dil kitna saaf aur mastishq komal hota hai aaj ki jeevan ki sachchaai se anbhigya hote hain jis aakaar me dhaalna hai maa ko hi yeh kartavya karna hai evam sahi disha nirdesh dena hai.bahut pyaari lagi aapki yeh rachna pahli baar aapke blog ka pata chala.chaliye jud rahi hoon aapke blog se mere blog par bhi aapka swagat hai.
जवाब देंहटाएंजी ,ब्लॉग में आने के लिए धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंपाकर कार और जेवर माँ
जवाब देंहटाएंतुमसे और दूर हो जाउंगी
मासूम जवाब भी दिल चीर गए ....
Thanks harkeerat ji
हटाएंAtul Kumar Pandey, Nandita Pandey and 5 others like this.
जवाब देंहटाएंVinay Mehta बहुत सुंदर कविता ... माँ और बेटी के अडिग प्रेम में डूबी सुंदर रचना ........
March 25 at 5:10pm · Unlike · 1
Reena Pant Thanks Meeta,Neeta,Annu
March 25 at 7:45pm · Like · 1
Noopur Tewari Gazab ka likha hai....
March 26 at 7:03am · Unlike · 1
Shilpa Sharma nishchal abhivyakti. Badhai!
March 26 at 1:53pm · Unlike · 1