महिला दिवस
इस बार भी
जोर शोर से
मनाया गया महिला दिवस .......
अखबारों में
खूब हुआ प्रचार प्रसार
पन्ने के पन्ने भर गए
उपहारों के
इश्तहारों से
लेखों से
जाबांज महिलाओं की
कथाओं से
अभ्यर्थनाओं से
और भर गए
उपहारों से बाज़ार
हर कोई भागता रहा
करता रहा खरीदारी
मनाता रहा महिला दिवस
और दब गयी
प्यार की भूख
कई कराहटों की आवाज़
इन उपहारों के बोझ तले
कि मनाया गया
जोर शोर से फिर महिला दिवस ..........
बस शोर हो होता है बाकी जो होता है वो नारी की नीयति है ॥
जवाब देंहटाएंनारी को नारों से बहलाया जाता रहा है हमेशा से. ये दिवस वगैरा मनाना सभी उसी भ्रम का हिस्सा हैं.
जवाब देंहटाएंnaari diwaas hi kya ab toh saab diwas he tamasha matre hain...pyaar toh diamond ki chamar mei kho gaya hai... sudha
जवाब देंहटाएंबिलकुल मुझे लगता है सही मायनो में मिली शिक्षा ही ऐसा हथियार है जो महिलाओं को वास्तविक स्वतंत्रता और आत्मविश्वास दे सकती है
जवाब देंहटाएंएक दिन का महिला दिवस बस मात्र रस्म बन के रह गया है ... कोई संकल्प बन सके तो सार्थक है ये दिन ...
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना है ...
धन्यवाद् नसवा जी
हटाएंऔर दब गयी
जवाब देंहटाएंप्यार की भूख
कई कराहटों की आवाज़
इन उपहारों के बोझ तले
बिलकुल सही चित्रण...उनकी स्थिति में सुधार की कोशिश तो की नहीं जाती....सिर्फ शोशेबाजी होती है.
बढ़िया रचना
धन्यवाद् रश्मिजी आपका ब्लॉग में स्वागत है
हटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति||||
dhanyawad reena ji
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