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रविवार, 11 मार्च 2012


महिला दिवस 
इस बार भी 
जोर शोर से 
मनाया गया महिला दिवस .......
अखबारों  में 
खूब हुआ प्रचार प्रसार 
पन्ने के पन्ने भर गए
उपहारों के 
इश्तहारों से 
लेखों से 
जाबांज महिलाओं की
 कथाओं से 
अभ्यर्थनाओं से 
और भर गए 
 उपहारों से  बाज़ार
हर  कोई भागता  रहा 
करता रहा खरीदारी 
मनाता रहा महिला दिवस 
और दब गयी 
प्यार की भूख 
कई कराहटों की आवाज़  
 इन उपहारों के बोझ तले 
कि मनाया गया 
जोर शोर से फिर महिला दिवस ..........

10 टिप्‍पणियां:

  1. बस शोर हो होता है बाकी जो होता है वो नारी की नीयति है ॥

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  2. नारी को नारों से बहलाया जाता रहा है हमेशा से. ये दिवस वगैरा मनाना सभी उसी भ्रम का हिस्सा हैं.

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  3. naari diwaas hi kya ab toh saab diwas he tamasha matre hain...pyaar toh diamond ki chamar mei kho gaya hai... sudha

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  4. बिलकुल मुझे लगता है सही मायनो में मिली शिक्षा ही ऐसा हथियार है जो महिलाओं को वास्तविक स्वतंत्रता और आत्मविश्वास दे सकती है

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  5. एक दिन का महिला दिवस बस मात्र रस्म बन के रह गया है ... कोई संकल्प बन सके तो सार्थक है ये दिन ...
    उम्दा रचना है ...

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  6. और दब गयी
    प्यार की भूख
    कई कराहटों की आवाज़
    इन उपहारों के बोझ तले

    बिलकुल सही चित्रण...उनकी स्थिति में सुधार की कोशिश तो की नहीं जाती....सिर्फ शोशेबाजी होती है.
    बढ़िया रचना

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    उत्तर
    1. धन्यवाद् रश्मिजी आपका ब्लॉग में स्वागत है

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  7. सुन्दर रचना...
    बढ़िया प्रस्तुति||||

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