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रविवार, 2 सितंबर 2012

        कल अचानक उनकी मृत्यु का समाचार मिला .कुछ भी असामान्य  नहीं था. ८० की उम्र में मृत्यु .....सुनकर उतना दुःख नहीं होता.  हाँ अपनों को खोने  की कसक तो हमेशा रहती है.बहुत पहले मिलना हुआ था बुआ से पर फूफाजी से नहीं के बराबर मुलाकात होती. यू तो बुआ से रिश्ता कोई बहुत पास का न था पर उनके और हमारे परिवार के बीच सालों से प्रगाढ़ सम्बन्ध थे . .बुआ का स्वभाव ऐसा की परायों को भी अपना बना लें..पिताजी के कई  किस्सों में समायी बुआ  के लिए हमेशा सम्मान  रहा .उनकी बातें सुनने को हमेशा दिल करता. आज भी फूफाजी से ज्यादा बुआ के बारे में जानना चाहा क्या बुआ रोई.या बुआ ने कैसे दुःख व्यक्त किया....बुआ को देख कर हमेशा यही लगता कि दुःख और बुआ का कोई रिश्ता हो ही नहीं सकता (बुआ और दुखो का चोली दामन का साथ था )पर बुआ इतनी हिम्मती   थी कि  उनके दुखी होने की कल्पना  कभी की ही नहीं जा सकती...पेशे से वैज्ञानिक बुआ सदैव  हमारी प्रेरणा रही कि अचानक फूफाजी की  मृत्यु का समाचार ....
          कुछ भी असामान्य नहीं ८० की उम्र ......पूरी उम्र खायी है फूफाजी ने पर कुछ ऐसा कर गए फूफाजी की सर नतमस्तक  हो गया. बहन ने खबर दी फूफाजी अपना पार्थिव शरीर दान कर गए .सुना मेडिकल कॉलेज को दान कर दी अपनी देह ....कहकर कि  मैं  नास्तिक हूँ मैं  कर्म कांडों में विश्वास नहीं करता ...विस्वास नहीं होता ....समाज ने अस्वीकार कर दिया कही ऐसा होता है जब तक देह जलाई न जाये मुक्ति मिलती है ....पर बुआ फूफाजी के निर्णय पर अडिग रही कि  देह तो मेडिकल के विद्यार्थियों  की पढाई के ही काम आनी है ...अंतत फूफाजी के निर्णय  का सम्मान किया गया और पार्थिव देह रवाना  हुई मेडिकल कॉलेज को .फूफाजी आपने इस उम्र में भी आज़ादी की ६५वि वर्षगांठ को एक सच्चे  सिपाही की तरह देश को अपना सर्वस्व  दे दिया और हमे जीने और जीवन का महत्त्व सिखा दिया......श्रद्धांजलि

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 4/9/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.inपर की जायेगी|

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  2. Very Beautifully written Di... My condolences...

    May his Soul rest in eternal piece...


    Infact Prakash and I plan to do the same... Donate all our organs to one in need.. I do hope we are able to abide by it..
    regards!

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    1. jarur nandita.socha to mainey bhi hai...shayad tum inhey janti hogi Dr Swastika Rawat....haldwani mein hi rahti hai ab...

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  3. परमात्मा ऐसे लोगों को स्वर्ग में शांति दें। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

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  4. So beautifully written and best of all the forceful way in which Bua has stood by her husband's decision in the face of society..i bow in reverence--and also believe that if there is anything called the journey of the soul and its next life, these will be the two extraordinarily blessed souls..thanks for sharing, condolences, and my prayers for both Mrs and Mr Rawat.

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