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मंगलवार, 11 सितंबर 2012

           फिर बेटी ने कहा
माँ मुझको भी आने दो, अपनी गोद सजाने दो 
बनकर आसमान में चंदा ,चांदनी से भर दूंगी 
बनकर असमान का सूरज ,मैं रौशनी कर दूंगी 
बनकर फूलों की पंखुडिया, अपनी गोद सजाने दो 
आने दो माँ ,आने दो माँ ,अपनी गोद सजाने दो
तितली बनकर आसपास ,जब मैं  लहराऊंगी
लाल लाल होठों से माँ - माँ कर गाऊँगी
रातों को न जगाउगी माँ ,तुमको न कभी सताउंगी
एक बार आने दो माँ, अपनी गोद सजाने दो 
मैं परछाई हूँ तुम्हारी,  कैसे खुद से दूर करोगी 
क्या लोगों के तानो से तुम ,अब भी डरोगी
मुझको मारकर -मरवाकर क्या तुम जी सकोगी 
मुझ को देकर जन्म माँ ,जीवन का गीत गाने दो .
एक बार आने दो माँ अपनी गोद सजाने दो  

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