आगे कदम बढाते चलो,
रुको न तुम कभी .
अटको न राह में,
चूको न कभी.
पहाड़ कितना बड़ा हो सामने,
नाप लो उचाईयों की डगर.
सागर को गहरा जितना,
निकाल लो मोती इस पहर .
रखो बस ध्यान इतना,
न डगमगाएं कदम .
जहा भी चाह हो,
निकल आये राह वही.
न गुम हो डगर नज़र से कभी,
बढे अब तो हर कदम वहा ,
जहा राह हो फूलो से भरी.
कांटे न आने पाए राहों में,
न छाए अँधेरा आँखों में कभी,
न गुम हो रौशनी ,
बढाते जाओ कदम .
रखो बस ध्यान इतना,
न डगमगाए कदम.
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
dhanywad sanjayji ,apka protsahan nayi urja dega
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