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सोमवार, 6 फ़रवरी 2012


अधूरी कविता 
अब  बरसात न होगी........
 रात में धूप दिन में चांदनी होगी 
ज्ञान की जगह धन की रौशनी होगी 
अब बरसात न होगी .........
 शीत में आम की बौर होगी 
रातों को गीत गाएगी कोयल 
नीम से बहेगी  कडवी हवा 
लता करेले की मीठी होगी 
अब  की बरसात न होगी ..........
नेता के घर साधू जन्मेगा 
साधू की लय कुछ और ही होगी 
मुह में राम बगल में छूरी
 कहावत अब यह सच होगी 
अब बरसात न होगी ........
सूरज जल बरसायेगा 
चाँद के मुह में आग होगी 
रेगिस्तान में नदी होगी 
अब बरसात न होगी .....
गगन में जल होगा 
जल में होगा थल 
पंछी रहेंगे सागर में 
मछलियाँ धरा में होंगी 
अब बरसात न होगी ....
नया जमाना नयी कहानी 
न होंगे नाना न नानी 
न रहेगी कोई कहानी 
जीवन की नयी राह होगी
शायद तब  अब बरसात न होगी .....

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