अधूरी कविता
अब बरसात न होगी........
रात में धूप दिन में चांदनी होगी
ज्ञान की जगह धन की रौशनी होगी
अब बरसात न होगी .........
शीत में आम की बौर होगी
रातों को गीत गाएगी कोयल
नीम से बहेगी कडवी हवा
लता करेले की मीठी होगी
अब की बरसात न होगी ..........
नेता के घर साधू जन्मेगा
साधू की लय कुछ और ही होगी
मुह में राम बगल में छूरी
कहावत अब यह सच होगी
अब बरसात न होगी ........
सूरज जल बरसायेगा
चाँद के मुह में आग होगी
रेगिस्तान में नदी होगी
अब बरसात न होगी .....
गगन में जल होगा
जल में होगा थल
पंछी रहेंगे सागर में
मछलियाँ धरा में होंगी
अब बरसात न होगी ....
नया जमाना नयी कहानी
न होंगे नाना न नानी
न रहेगी कोई कहानी जीवन की नयी राह होगी
शायद तब अब बरसात न होगी .....
सही कहा है आपने। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंdhanyawad
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंdhanyawaad reenaji
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