चेहरा
अपने अक्स को छुपाया है
कई तहों के बीच
प्याज़ की परतों के मांनिंद
हर एक खुलती परत में
नया अक्स नज़र आता है
कभी तन्हाई कभी हंसी है होठों पे
कभी आंसू कभी गमो की चादर ओढे
कभी ललक तो कभी ममता की छांह लिए
कभी गुस्सा तो कभी आह लिए
हर परत एक नया नगमा है
ज़िन्दगी के गीत गाता जाता है
कोई देखे तो अगर
सबसे भीतर की परत
बचपन ही जैसे हर एक अक्स
में नज़र आता है .......
हर परत एक नया नगमा है ....
जवाब देंहटाएंसच कहा, जाने ऐसी कितनी परतें छुपाये है ये चेहरा...
बहुत खूबसूरत कविता...
सूरज जल बरसायेगा
जवाब देंहटाएंचाँद के मुह में आग होगी
रेगिस्तान में नदी होगी
अब बरसात न होगी ...
ऐसा समय जल्दी ही आने वाला है अगर इंसान नहीं जागा तो ...
चेतावनी दे रही है रचना ...
dhanyawad pushpendra
जवाब देंहटाएंdhanyawad digemberji
अरे वाह ,,
जवाब देंहटाएंबहूत हि सुंदर , प्याज का बिंब लेकर जिंदगी के
पहलू को दर्शाती बेहतरीन रचना है..
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
mauryareena.blogspot.com
dhanyawad reena ji
हटाएंdhanyawad reena ji
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