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बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

ज़िन्दगी  और सपने 
कोई खूबसूरत सी ग़ज़ल गायें, 
आ बारिशों के मौसम में नहायें
गुफ्तगू  जब करे बूंदें  जुल्फों से मेरी 
जान लेना कि बरसात  होने वाली  है
बादलों को गरजना घुमडना  है 
मिटटी की सोंधी गंध आने वाली है 
हरी भरी सी बगिया महकने वाली है 
इन्द्रधनुष के रंगों से सजेगा घर आंगन अपना 
जीवन में बहार आने वाली है .......
आ आँखों में सपने थोडे  और सजाएँ 
बारिशों में नहायें .प्यारी सी ग़ज़ल गायें 
एक बार ही मयस्सर है ज़िन्दगी 
कुछ रंग जमाये, गीत गुनगुनाएं...... 
कल की फुरसत  किसे  है ,
आज को जी ले ,आ सपने सजाएँ,  
 कोई खूबसूरत सी ग़ज़ल गायें .
आ बारिशों के मौसम में  नहायें ..............




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