वसंत 1
कुनकुनी धूप ने याद दिलाया
लो, शायद वसंत फिर आया .
पेड़ो की नई कोपले,
सरसों की पीली चदरिया,
आम के बौर,
वासंती बयार ,
कोयल के गीत,
हुई पुरानी रीत
मन ने फिर भी गीत गया
लो, शायद फिर वसंत आया ........
शाम की रंगीनियों में,
थिरकते कदमों के साथ ,
हाथ में गिलास थामे ,
बहुत से 'डे' मनाते,
आता किसे है याद ,
कि वसंत आया.........
भाभी की देवरों के साथ,
वो प्यारी सी छेड़-छाड़,
आंखों में मदहोशियाँ ,
यौवन की वो बहार,
गले में बांधे,
पीले पीले रुमाल,
होली के मधुर गीत,
हुई पुरानी रीत ,
मन ने फिर भी गीत गाया,
लो ,शायद वसंत आया........
अचानक एस. एम् एस.के साथ
किसी ने याद दिलाया
लो, शायद वसंत आया ........
ओ बसंत 11
ओ बसंत !
मुझे प्रतीक्षा है तुम्हारी
हर क्षण .
हर पल .
क्यूंकि मुझे पसंद है .......
फूलों का खिलना ,
कोयल की कूक,
आम की बौर
का आना .
ओ बसंत !
मुझे प्रतीक्षा है तुम्हारी ,
हर क्षण .
हर पल .
क्यूंकि मुझे पसंद है .......
मंद हवा में ,
यूँ ही टहलना ,
गोधुली में,
प्रवासिओं को लौटते देखना ,
ये सच है
हाँ बसंत !
तुम आना
यूँ ही ......
सदैव .
क्यूंकि तुम्हारे आने से मेरे जीवन की
उन्मुक्तता लौट आती है .
बूढी होती
मेरी मानसिकता ,
एक बार फिर यौवन की दहलीज़
में लौट आती है .
मेरे गाँव की याद
मेरे शहरीपन में
छाने लगती है .
ढोलकों की थाप,
सरसों का लहलहाना
याद आता है .
इसलिए
ओ बसंत !
मुझे प्रतीक्षा है तुम्हारी ...........
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