ज़िन्दगी
आओ उन पलों को जी ले
आओ उन पलों को जी ले
जो रेत की मानिंद सरक जाते है
मुट्ठी को बंद करने से पहले.
उन सपनो को सजाले
इसी पल
जो टूट जाते है
आँख खुलने से पहले.
जरा सी इस ज़िन्दगी की कहानी
वक़्त बेवक्त ख़त्म हो जाएगी
रह जायेंगे फकत
उम्मीदों के समंदर में
सीपी की तरह.
गिरती उठती लहरों की
आगोश में समाने से पहले
सजा ले उन्हे
इन्द्रधनुष के रंगों से.
याकि हरसिंगार के फूलों की लड़ी
सोंधी मिटटी की खुशबू
या कि वासंती बयार की महक
चुन के सजा दे मांग ज़िन्दगी की .
नवोढ़ा दुल्हन सी
जीने की ललक
जगा दे ........
आओ इन पलों को
जी ले इसी पल
ज़िन्दगी के लिए ......
कमाल है!
जवाब देंहटाएंचुन-चुन कर शब्दों का प्रयोग किया आपने रचना है लाजवाब!!!
dhanyawad sanjay ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव सँजोये ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
धन्यवाद् संगीताजी,ब्लॉग में आपका स्वागत है ,कई बार कोशिश के बावजूद मैं verification वर्ड हटाने में असमर्थ रही पर प्रयास जारी है आपके concern के लिए आभार
जवाब देंहटाएंकविता के भाव मन को छुते हैं।
जवाब देंहटाएंthamks manojji
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